अब मेरा मन उस पैकेज वाले काम मे कम लगता था. आवर यहाँ ड्राइवर बन्ने मे ठीक लगता था. सैलरी भी ठीक थक थी.
कभी कभी मन करता था क वो पैकेज वाला कम छोड़ दू. लेकिन घर की जिम्मेदारी और अपने गो वालो से लिया लोन किसी बोझ से कम नहीं था , जिसे जल्द से जल्द उतारना था.
मै अब रोज़ अपना वो कम ख़तम कर के यहाँ पार्किंग मे आ जाता , और बॉस की बेटी को जहा जाना होता वह ले कर जाता.
दिन बिट रहे थे. मै छुप छुप कर उसे देखता रहता.
मैंने ऑफिस पुचा क मदेम का नाम क्या है तो उन्होंने एमा बताया था. मुझे उस से पूछने को मन किया था.
एमा अपने दुनिया मे मस्त रहती थी. वो एक कॉलेज से PG कर रही थी.
एक दिन एमा ने मुझसे पुचा .
WHY DONT YOU TALK MUCH ?
मैंने कहा, मुझे आप के ऑफिस से आप से बात करने से मन किया गया है. जितना पुचा जाये उतना ही बोलने को कहा है.
एमा – अच तो ये बात है .
फिर कुछ देर क ख़ामोशी क बाद फिर उसने पुचा.
अगर माना नहीं किया जाता तो क्या तुम मुझसे बात करते?
मैंने हस कर हैरानी से कहा , yes mam
वो बोली ओके नो प्रॉब्लम, अब तुम मुझसे बात कर सकते हो, कोई कुछ कहे तो कह देना मैंने allow किया है .
मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था.
मैंने कहा ok mam .
वो बोली , तो तुम इंडिया मे कहा से हो ?
मैंने कहा, मै गुजरात से हु.
उसने हैरानी से पुच्छा , यहाँ गुजरातियों ने तो बहुत बड़े बड़े बिज़नस खोल रखे है .
मैंने कहा, हा mam , एक दिन मै भी ऐसा ही कुछ करूँगा.
एमा हसने लगी, बोली , i like your confidence
उसदिन से हमारी बाते कुछ कुछ होने लगी थी. मुझे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था क आने वाले वक़्त मे मेरी ज़िन्दगी मे इतनी बड़ी चीज़ हो जाएगी.
Part 3
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